किसी भी निर्दोष व्यक्ति की हत्या एक दांडिक अपराध है.
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भारतीय मत्स्यिकी अधिनियम, 1897 दो तरह से दांडिक अपराध विनिर्दिष्ट करता है, जिनके द्वारा सरकार किसी व्यक्ति पर अभियोग लगा सकती है जो डायनामाइट या अन्य विस्फोटक तत्व किसी भी तरह से (चाहे तटीय या अंतर्देशीय)
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भारतीय मत्स्यिकी अधिनियम, 1897 दो तरह से दांडिक अपराध विनिर्दिष् ट करता है, जिनके द्वारा सरकार किसी व् यक्ति पर अभियोग लगा सकती है जो डायनामाइट या अन् य विस् फोटक तत् व किसी भी तरह से (चाहे तटीय या अंतर्देशीय) किसी मछली को पकड़ने या नष् ट करने के लिए उसे मारने के लिए विष पदार्थ का उपयोग करता है।
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12. कि अवकाशप्राप्त जज पर यह घिनौना और गंभीर आरोप लगने के बाद मा ० सुप्रीम कोर्ट के मा ० मुख्य न्यायाधीश महोदय ने मामले की जांच के लिए तीन मा ० न्यायाधीशों की कमेटी का गठन किया है पर जैसा कि क़ानून का नियन है, इस प्रकार की प्रशासनिक जांच अपनी जगह होती है और दांडिक अपराध और उसके सम्बन्ध में की जाने वाली कार्यवाही अपनी जगह.